
Vat Savitri Vrat 2022 वट सावित्री व्रत भारत में सुहागन महिलाओं द्वारा अपने पति की लम्बी उम्र के लिए रखा जाने वाला व्रत है। यह व्रत करवा चौथ वाले व्रत के जैसा ही कठिन होता है महिलाएं इस व्रत को बड़े ही नियम कायदे से पूरा करती हैं। लेकिन बहुत सी महिलाएं जिनकी नई नई शादी हुई है उनसे गलतियां भी हो जाती हैं, तो आइये जानते हैं वट सावित्री व्रत को करने की विधि।
शुभ मुहूर्त
नियम के अनुसार वट सावित्री का व्रत हर वर्ष ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है जो की 30 मई को शाम 5 बजे तक रहेगी, जहाँ तक पूजा के समय की बात करें तो यह सुबह 07:12 बजे से शुरू हो जायेगा।
पूजन सामग्री
वट सावित्री व्रत के लिए पूजन सामग्री में सावित्री-सत्यवान की मूर्ति, बांस का पंखा, मिट्टी का दीपक, लाल कलावा, धूप-अगरबत्ती, कच्चा सूत, घी, मिष्ठान, फल, नारियल, रोली, पान, अक्षत, भींगा चना, मूंगफली के दाने, सिंदूर आदि श्रंगार का सामान इस्तेमाल होता है। कृपया व्रत के एक दिन पहले श्रृंगार का सामान खरीदकर रख लें।
पूजन विधि
सबसे पहले तो सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और लाल साड़ी पहन लें, उसके बाद सावित्री-सत्यवान की मूर्ति लेकर बरगद के पेंड के निचे जाएँ एवं वहां मूर्ती स्थापित करलें, उसके बाद बरगद के पेंड़ पर कच्चे सूत को सात बार परिक्रमा करते हुए लपेट दें, फिर सावित्री-सत्यवान की मूर्ति पर तिलक, जल अर्पित करते हुए भींगा चना, सिन्दूर आदि ऊपर बताई हुई सामग्री चढ़ाएं। फिर हाँथ जोड़कर भगवान् से प्रार्थना करें।
