
152 साल पुराने देशद्रोह के कानून पर सुप्रीम कोर्ट की रोक लगा दी गई है इस रोक के तहत नए मामले दर्ज नहीं किए जाएंगे इसके साथ ही साथ पुराने मामलों पर भी कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जब तक आईपीसी की धारा 124-ए की री-एग्जामिनेशन प्रोसेस पूरी नहीं हो जाती है तब तक इस कानून पर रोक लगी रहेगी।
कानून रहे पर जांच के बाद FIR दर्ज हो: तुषार मेहता
केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सलाह दिया है कि इस कानून पर रोक न लगाई जाए बल्कि पुलिस अधीक्षक की जांच और सहमति के बाद ही एफ आई आर दर्ज हो।
फिलहाल यह है मौजूदा कानून का स्वरूप
देशद्रोह कानून के तहत सरकार के खिलाफ अवमानना या नफरत एवं असंतोष फैलाने को अपराध माना जाता है मौजूदा कानून के तहत अपराधी को आजीवन कारावास की सजा होती है
केंद्र सरकार करेगी कानून पर पुनर्विचार
केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा है की वो मौजूदा देशद्रोह कानून पर पुनर्विचार करेगी, साथ ही केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील भी किया है की जब तक केंद्र सरकार IPC की धारा 124A के प्रावधानों पर पुनर्विचार करके अपनी जांच पूरी न कर ले तब तक सुप्रीम कोर्ट इस कानून को हटाने के मामले पर सुनवाई न करें।