केरल में टोमैटो फ्लू और एंथ्रेक्स फैलने के बाद अब सिक्किम में नैरोबी मक्खियों का प्रकोप फैलता जा रहा है। अब तक यहां के 100 से ज्यादा छात्रों में नैरोबी मक्खियों का संक्रमण फैल चुका है। सिक्किम के इंजीनियरिंग कॉलेज में संक्रमण के मामले सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है।

स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है, यह मक्खियां खासतौर पर पूर्वी अफ्रीका में पाई जाती हैं, जो स्किन पर बैठने के बाद संक्रमण की वजह बनती हैं। कई बार संक्रमण के बाद सर्जरी की भी नौबत आ जाती है, इसलिए पूरी तरह से अलर्ट रहने की सलाह दी जा रही है।
Nairobi flies नैरोबी मक्खियाँ क्या है ?
ये केन्याई मक्खी या ड्रैगन मक्खी के नाम से भी जानी जाता है, यह झींगुर के आकार की होती हैं और इनकी दो प्रमुख प्रजातियां हैं। इनका रंग नारंगी और ब्लैक होता है। ये मक्खियां आमतौर पर ऐसी जगहों पर पाई जाती हैं, जहां बारिश ज्यादा होती है।
मक्खियां भोजन की तलाश में नई-नई जगहों पर अपने आप पहुंचती हैं और संक्रमण को फैलाती हैं। सिक्किम में पिछले कुछ हफ्ते से ये देखी जा रही हैं, दूसरे कीट-पतंगों की तरह ये भी प्रकाश यानी रोशनी की तरफ आकर्षित होती हैं।
इंसान को कैसे करती है संक्रमित

The Conversation की रिपोर्ट के मुताबिक, आमतौर पर ये मक्खी इंसान को काटती नहीं है, लेकिन स्किन पर बैठने के बाद ये खास तरह का केमिकल रिलीज करती है, इस केमिकल का नाम है Pederin. स्किन पर यह केमिकल पहुंचने के बाद जलन महसूस होती है, यह स्थिति गंभीर भी हो सकती है।
इसके हल्के लक्षणों वाले मामलों में स्किन लाल हो जाती है और खुजली होती है, ये लक्षण आमतौर पर मक्खी के स्किन पर बैठने के 24 घंटे बाद दिखना शुरू होते हैं, वहीं 48 घंटे बाद स्किन पर छाले दिखने शुरू हो जाते हैं।
ये गंभीर स्थिति में कब पहुँचता है ?
मरीज की स्थिति कितनी गंभीर होती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि मक्खी ने इंसान की स्किन पर कितना ज्यादा पैडरिन रिलीज किया है और वो कितनी देर बैठी रही, अगर मक्खी ने ज्यादा केमिकल फैलाया है और ये पूरे शरीर में फैल गया है तो बुखार, नसों में दर्द, जोड़ों में दर्द और उल्टी जैसे लक्षण नजर आते हैं।
कई बार संक्रमण के बाद आंखों को मलने पर जहरीला केमिकल आंखों तक पहुंच जाता है और कंजेक्टिवाइटिस की वजह बन सकता है। डॉक्टरी की भाषा में इसे नैरोबी आई Nairobi eye कहते हैं, ऐसी स्थिति में कुछ समय के लिए मरीज को दिखना बंद हो सकता है।
हालांकि ये स्थिति टेम्प्रेरी रहती है, सिक्किम इस स्टूडेंट्स में इसका गंभीर मामला सामने आया है जब मरीज के हाथ की सर्जरी करनी पड़ी है वहीं, अन्य मरीजों को दवाएं दी जा रही हैं और वो रिकवर भी हो रहे हैं।
इससे बचाव कैसे किया जाये ?

- मच्छदारनी में सोएं।
- पूरी आस्तीन वाले कपड़े पहनें।
- रात में प्रकाश वाली जगहों पर सोने से बचें।
- मक्खी आपके हाथ पर बैठे तो इसे ब्रश की मदद से हटाएं।
- वहीं पर खत्म न करें, इससे स्किन पर उसका जहरीला केमिकल फैल सकता है।
केन्याई मक्खी या ड्रैगन मक्खी या नैरोबी मक्खी का सबसे ज्यादा संक्रमण केन्या और पूर्वी अफ्रीका में 1998 में फैला था। उस साल अधिक बारिश के कारण इसके मामले सामने आए थे। अफ्रीका के अलावा भारत, जापान, इजरायल, और प्रागवे में भी इसके संक्रमण के मामले देखे जा चुके हैं।