अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 28 जून को मनाया जाता है, जो इस साल का सबसे लम्बा दिन होता है। योग मानव के लिए दीर्घायु रहने का उपचार है। जिसकी पहल भारत के प्रधानमन्त्री श्रीमान नरेन्द्र मोदी जी नें 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण से की और 21 जून को “अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस” घोषित किया गया। पहली बार यह दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया।
योग मनुष्य को स्वस्थ रखने में मदद करता है। योग करने से मनुष्य का मन और आत्मा संतुलित रहती है। लेकिन मात्र शरीर को सुडौल बनाने और मन को कुछ क्षणों के लिए नियंत्रण में रखने से मनुष्य का उद्देश्य पूरा नहीं होता, परमात्मा की प्राप्ति भक्ति योग से ही संभव है। योग का अभ्यास प्रतिदिन करने से मानव अपने सभी दर्द और बीमारियों से छुटकारा प् सकता है और लम्बे समय तक स्वस्थ जीवन जी सकता है।
यहाँ हम प्रमुख तीन आसनो की चर्चा करेंगे, जिसको करने से पूरा शरीर ऊर्जा से भरपूर, फिट और स्वस्थ रहेगा और जितना कम और अच्छे से योगासन किया जायेगा,उतनी जल्दी लाभ प्राप्त होगा।
1. चक्रासन

चक्र का अर्थ होता है पहिया, इस आसन को करने पर शरीर की आकृति चक्र के सामान नजर आती है, इसलिए इस आसन को चक्रासन कहा जाता है। योग शास्त्र में इस आसान को मणिपूरक चक्र कहा जाता है। यह आसन समान्य आसनों से थोड़ा कठिन होता है, इसलिए इस आसन को योगाचार्य की उपस्थिति में करें। प्रतिदिन धीरे धीरे अभ्यास करते रहेंगे तो आप भी इसे आसानी से कर पाएंगे लेकिन प्रारंभिक दौर में भी शरीर पर अत्यधिक दबाव डालें।
विधि
- सबसे पहले स्वस्छ और समतल जमीन पर आसन बिछा लें।
- अब जमीन पर पीठ के बल शवासन की स्थिति में लेट जाये।
- दोनों पेरो के बीच एक से डेढ़ फ़ीट का अंतर बनाये तथा पेरो के तलवो और एड़ियो को जमीन से लगाएं।
- उसके बाद दोनों हाथो की कोहनियो को मोड़कर, हाथो को जमीन पर कान के पास इस प्रकार लगाएं कि उंगलियाँ कंधों की ओर तथा हथेलिया समतल जमीन पर टिक जाये।
- अब शरीर को हल्का ढीला छोड़े और गहरी साँस लें।
- पैरों और हाथो को सीधा करते हुए, कमर, पीठ तथा छाती को ऊपर की ओर उठाएं। सिर को कमर की ओर ले जाने का प्रयास करें तथा शरीर को ऊपर करते समय साँस रोककर रखे।
- अंतिम स्थिति में पीठ को सुविधानुसार पहिये का आकर देने की कोशिश करें।
- शुरुवात में इस आसन को 15 सेकंड तक करने का प्रयत्न करें। अभ्यास अच्छे से हो जाने पर 2 मिनट तक करे।
- कुछ समय पश्चात् शवासन की अवस्था में लोट आएं।
होने वाले लाभ
- रक्त का प्रवाह तेजी से होता है।
- मेरुदंड तथा शरीर की समस्त नाड़ियों का शुद्धिकरण होकर योगिक चक्र जाग्रत होते है।
- छाती, कमर और पीठ पतली और लचीली होती है।
- रीड़ की हड्डी और फेफड़ों में लचीलापन आता है।
- मांसपेशियों मजबूत होती है जिसके कारण हाथ, पैर और कंधे चुस्त दुरुस्त होते है।
- लकवा, शारीरिक थकान, सिरदर्द, कमर दर्द तथा आंतरिक अंगों में होने वाले दर्द से मुक्ति मिलती है।
- पाचन शक्ति बड़ती है, पेट की अनावश्चयक चर्बी काम होती है और शरीर की लम्बाई बढ़ती है।
- नियमित करने से वृद्धावस्था में कमर झुकती नहीं है और शारीरिक स्फूर्ति बनी रहती है साथ ही स्वप्नदोष की समस्या से भी मुक्ति मिलती है।
सावधानिया
- महिलाओ को गर्भावस्था और मासिक धर्म के समय यह आसन नहीं करना चाहिए।
- दिल के मरीज, कमर और गर्दन दर्द के रोगी, हाई ब्लड प्रेशर और किसी भी तरह के ऑपरेशन वाले लोगो को भी यह आसान नहीं करना चाहिए।
- योगा गुरु के सामने ही इस चक्रासन का अभ्यास करें।
2. वृक्षासन

वृक्षासन को अंग्रेजी में ट्री पोज (Tree Pose) कहते हैं। यह एक प्रकार का हठ योग है। यह दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला शब्द है वृक्ष और दूसरा है आसन यानी वृक्ष के समान खड़े होकर आसन लगाना। इसमें शरीर को संतुलित करके एक मजबूत वृक्ष के जैसे खड़ा रहना पड़ता है।वृक्षासन योग को करना मुश्किल भी नहीं है, लेकिन यह इतना आसान भी नहीं, कि बिना जानकारी और बिना योगा गुरु के इसे किया जा सके।
विधि
- सबसे पहले दोनों योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं।
- अब दाहिने पैर को घुटने से मोड़ते हुए दाहिने पैर के तलवे को बाएं पैर की जांघ पर सटाने का प्रयास करें।
- इस दौरान यह जरूर सुनिश्चित करें कि बाया पैर सीधा रहे और पैर का संतुलन बना रहे।
- जब आपका शरीर आपके बाएं पैर पर संतुलित हो जाए, तो लंबी सांस लेते हुए दोनों हाथों को सिर के ऊपर ले जाकर नमस्कार की मुद्रा बना लें।
- ध्यान रखें कि इस दौरान रीढ़ की हड्डी, कमर और सिर एक सीध में हों और संतुलन की स्थिति बनी रहे।
- अब इस मुद्रा में करीब 5 से 10 मिनट (जब तक संभव हो) तक रहते हुए धीरे-धीरे सांस लेते और छोड़ते रहें।
- इसके बाद आप गहरी सांस लेते हुए अपनी प्रांभिक मुद्रा में आ जाएं।
- इस तरह वृक्षासन का एक चरण पूरा होता है।
होने वाले लाभ
- रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है।
- मांसपेशियों की मजबूती के लिए।
- सहनशक्ति बढ़ाता है।
- सतर्कता और एकाग्रता में सुधार करता है।
सावधानिया
- इस योग का अभ्यास दीवार के सहारे करें।
- जब अच्छा अभ्यास हो जाए, तब दीवार से दूर होकर इस योग को करना चाहिए।
- बैलेंस बनाने के लिए कुर्सी का उपयोग भी किया जा सकता है, ताकि बैलेंस बिगड़ते वक्त जांघ पर रखे जाने वाले पैर को कुर्सी पर रोक कर खुद को संभाला जा सके।
- अगर किसी को मोटापे की समस्या है, तो उसे इस आसन को करने से परहेज करना है।
- गठिया की समस्या होने पर भी इस आसन को नहीं करना है।
- जिन्हें वर्टीगो यानी सिर का चक्कर आता हो, तो भी इस योग को करने से बचना है।
- गर्भावस्था में योग को अकेले नहीं करना चाहिए।
- किसी भी प्रकार के योग को जबरन नहीं करना चाहिए, जितनी क्षमता हो उतनी देर ही योग करें तो बेहतर होगा।
- योग को सही मुद्रा में और सही जानकारी के साथ ही करना चाहिए।
- माइग्रेन, निम्न या उच्च रक्तचाप की समस्या होने पर भी इस आसन को न करें
3. ताडासन

ताडासन संस्कृत के शब्द “ताड” से लिया गया है जिसका अर्थ “पर्वत” और आसन का अर्थ है “मुद्रा” । इस आसन में शरीर पहाड़ की तरह दिखता है इसलिए इस ताड़ासन कहते है। यह अनिवार्य नहीं है कि इस आसन को खाली पेट ही किया जाना चाहिए। लेकिन इस आसन को करने से कम से कम चार से छह घंटे पहले अपना भोजन करना सबसे अच्छा है।
विधि
- सीधे पैर पर खड़े हो ज़ाये।
- दोनो पैर को आप पास में मिला कर रखे।
- दोनों हाथो को कमर से सटाकर रखे।
- धीरे धीरे हाथ को कंधो के समान्तर ले कर आये ।
- अब साँस लेते हुऐ दोनों हाथो को सिर के ऊपर ले जाये, और पैर के पंजो पर खड़े हो जाये, फिर हथेलियों को जोड़ कर रखे ।
- इस समय सीधे देखे और हाथो को आकाश की ओर रखे ।
- कुछ समय के लिए इस मुद्रा में रहे ओर साँस छोड़ते हुए पहली मुद्रा में आये।
होने वाले लाभ
- शरीर की बनावट में सुधार करता है।
- जांघों, घुटनों और टखनों को मजबूत करता है।
- पैरों और कूल्हों में ताकत और गतिशीलता बढ़ाता है।
- सपाट पैरों को कम करता है।
- रीढ़ को शक्ति और लचीला बनता है ।
- पूरे शरीर में तनाव और दर्द से राहत दिलाता है।
- रक्त परिसंचरण और पाचन स्वास्थ्य में सुधार करता है।
- शरीर की लम्बाई बढ़ाने में मददग़ार है।
सावधानिया
- सिरदर्द,
- अनिद्रा
- रक्तचाप से पीड़ित
- इस आसन को करने से बचे।
योग हमारे शरीर को मजबूत बनाता है, हमारे ध्यान को एक काम में केंद्रित करता है। प्रधानमंत्री जी ने योग के बारे में कहा की ” योग भारत की प्राचीन परम्परा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है; विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है।” इसलिए योग आज राष्ट्रीय नहीं, अन्तर्राष्ट्रीय पहचान बना चुका है और इसका रिजल्ट भी सकारात्मक प्राप्त हुआ है। ऊपर बताये गए सिर्फ तीन योगासन को प्रतिदिन किया जाय तो सभी लोग स्वस्थ्य जीवन को जी सकते है।